महिला सशक्तिकरण के लिए बनाए गए कानून –
अक्सर हमने सबको कहते हुए सुना है कि यह हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है तो आज हम बात कर रहे हैं महिलाओं के जन्मसिद्ध अधिकार की। जन्म सिद्ध अधिकार वह अधिकार होते हैं जो एक व्यक्ति को उसकी मां के गर्भ से प्राप्त होते है और मृत्यु तक बने रहते हैं। हमारे देश का कानून महिलाओं को विशेष अधिकार एवं संरक्षण प्रदान करता है जो उनके विकास में सहायक होते हैं स्वतंत्रता से पूर्व महिलाओं की स्थिति चिंताजनक थी अनेक कुप्रथा ही समाज में व्याप्त थी जैसे बाल विवाह , सती प्रथा आदि। देश के स्वतंत्र होने के साथ-साथ इनको प्रथाओं का भी अंत किया गया और अनेक कानून बनाए गए जो महिलाओं को संरक्षण प्रदान करते हैं महिलाओं के कुछ विशेष अधिकार एवं संरक्षण निम्नलिखित है।
महिलाओं के अधिकार : 2021 |
कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार
हमारे देश में महिलाओं के कम होती संख्या को देखते हुए सन 1994 में लिंग प्रतिषेध अधिनियम पारित किया गया जिसके अनुसार जन्म से पूर्व अथवा मां के गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग ज्ञात करना अपराध है क्योंकि लिंग जांच का मुख्य उद्देश्य गर्भ में पल रही बालिका की हत्या करना होता है।
अवैध गर्भपात के खिलाफ अधिकार
इसके लिए Medical termination of pregnancy act 1971 पारित किया गया। इस कानून के अनुसार विशेष परिस्थितियों में ही पंजीकृत चिकित्सक द्वारा गर्भपात कराया जा सकता है ऐसी परिस्थितियां हैं - जिनमें शिशु या मां या दोनों की जान को खतरा है या शिशु विकलांग है। अवैध गर्भपात को रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 312 से 318 में भी उपबंध किए गए हैं । मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट के तहत मां को भी स्वेच्छा से केवल 24 माह तक ही गर्भपात कराने की अनुमति प्राप्त है।
शिक्षा का अधिकार
संविधान के 86वां संशोधन द्वारा एक नया अनुच्छेद जोड़ा गया - 21क जो 6 से 14 वर्ष तक के सभी बालोंको के लिए अनिवार्य एवं निशुल्क शिक्षा का उपबंध करता है।Gender injustice के खिलाफ अधिकार
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 अनेक आधार पर समानता का वर्णन करता है जिसमें लिंग भी एक आधार है यह अनुच्छेद महिलाओं को पुरुषों के समान ही अवसर की समानता के अधिकार की गारंटी देता है।समान वेतन का अधिकार
इसके लिए सन 1976 में समान परिश्रमिक अधिनियम पारित किया गया अब महिलाएं भी पुरुषों के बराबर है वेतन प्राप्त करने का अधिकार रखती हैं उनके साथ किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।कार्यस्थल पर शोषण के विरुद्ध अधिकार
सन 2013 में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम को पारित किया गया है जिसमें महिलाओं के साथ उनके कार्य के स्थान पर होने वाले दुर्व्यवहार / यौन शोषण / उत्पीड़न के रोकथाम के लिए पर्याप्त उपबंध किए गए हैं और अगर उनके साथ ऐसा कुछ होता है तो उसके लिए भी दिशा निर्देश दिए गए है।इंटरनेट पर सुरक्षा का अधिकार
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 और 66ई में यह प्रावधान किया गया है की किसी महिला के निजी तस्वीरों को उसकी अनुमति के बिना प्रसारित या प्रचारित करना अपराध है।Maternity leave का अधिकार
इसके लिए सन 1961 में मेटरनिटी बेनिफिट एक्ट बनाया गया जिसे सन 2017 में संशोधित किया गया इसके तहत किसी भी निजी या सरकारी संस्थान में कार्य करने वाली महिला को बच्चे के जन्म के लिए 26 हफ्ते तक का अवकाश मिलता है। अगर महिला ने शिशु को Adopt किया है ओर शिशु की उम्र 3 month से कम है तो 12 हफ्ते का अवकाश मिलता है सरोगेसी में भी अवकाश का प्रावधान है और प्रेग्नेंसी के आधार पर किसी महिला को उसकी नौकरी सेनिष्कासित नहीं किया जा सकता। इन सबके अलावा free pregnancy test,free transport, नकद इनाम , का भी प्रावधान है।घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार
भारतीय दंड संहिता की धारा 498 क महिलाओं को उनके पति या पति के रिश्तेदारों द्वारा की जाने वाली क्रूरता के लिए चाहे वह (मानसिक हो या शारीरिक ) दंड का प्रावधान करता है ।इसके अलावा घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 प्रत्येक महिला को संरक्षण प्रदान करता है चाहे वह महिला पत्नी , पुत्री ,माता या अन्य कोई हो । महिलाओं के प्रति उनके घर में होने वाले अपराधों से संरक्षण देने के लिए अनेक अधिनियम पारित हुआ जैसे दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961, बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, हिंदू विवाह अधिनियम यह सभी अधिनियम प्रेत्येक रूप में एक महिला को अधिकार और संरक्षण प्रदान करते हैं।
संपत्ति में अधिकार
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अंतर्गत पिता की पैतृक संपत्ति में पुत्री का भी अधिकार होता है एवं पति की अर्चित की संपत्ति में पत्नी का बराबर अधिकार होता है और यदि पत्नी तलाक ले रही है तो पति को मिली विरासत की संपत्ति में भी पत्नी का पति के बराबर अधिकार होता है ।और महिला अपनी संपत्ति को अपनी स्वेच्छा से अंतरण भी कर सकती है।गिरफ्तारी से संबंधित अधिकार
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 46( 4 ) में किसी महिला की गिरफ्तारी के संबंध में उपबंध किए गए हैं जिसके अनुसार विशेष परिस्थिति के अलावा किसी महिला को सूर्यास्त के पश्चात और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और यदि ऐसा करना आवश्यक है तो इसके लिए महिला पुलिस अधिकारी द्वारा प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के द्वारा लिखित अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा । जिसकी स्थानीय अधिकारिता में अपराध किया गया है गिरफ्तारी होनी है।निशुल्क कानूनी सहायता
अगर किसी महिला को किसी अपराध के लिए गिरफ्तार किया जाता है वह कानूनी सहायता की मांग करती है तो उसे निशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी चाहे उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी ही क्यों ना हो । इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 39a में एवं विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 12 बारे में प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त बलात्कार की पीड़ित महिला को अपना नाम गोपनीय रखने का अधिकार है ।बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों की रोकथाम के लिए स्पेशल पोक्सो act बनाया गया है एवं महिलाओं को अधिकार है कि वे अपने साथ हुए अपराध की शिकायत किसी भी पुलिस थाने में कर सकती हैं पुलिस अधिकारी उनसे यह नहीं कह सकते कि वह उनकी स्थानीय अधिकारिता में नहीं आती । महिलाओं कोअपने साथ हुए अपराध की शिकायत को निर्धारित समय सीमा के बाद भी करने का अधिकार है । महिलाओं को सीआरपीसी की धारा 125 के अंतर्गत भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार है। यह महिलाओं से जुड़े वह अधिकार है जिन का ज्ञान होना प्रत्येक महिला के लिए आवश्यक है जिससे वह अपने अधिकारों के प्रति सजग रह सके।
2 टिप्पणियाँ
Nice
जवाब देंहटाएंVery informative post
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