संसद का सबसे महत्वपूर्ण कार्य देश हित के लिए कानून बनाना होता है । कानून बनाने की प्रक्रिया विभिन्न चरणों से होकर गुजरती है । कानून बनाने की प्रक्रिया एक बिल से प्रारंभ होती है। इस प्रक्रिया को समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि बिल क्या होता है।

Bill क्या होता है

       Bill को हिंदी में विधेयक कहते हैं । विधायक या बिल एक प्रस्ताव होता है जिसे विधि या कानून का स्वरूप देना होता है । सभी कानून पारित होने से पहले विधेयक होते हैं । दूसरे शब्दों में यह कानून बनाने के उद्देश्य से संसद में प्रस्तुत किए जाते हैं विधेयक चार प्रकार के होते हैं -
(1)  साधारण विधेयक - Article 107
(2)  धन विधेयक -Article110
(3)  वित्त विधेयक -Article 117 
(4)  संविधान संशोधन विधेयक- Article 368

जानिए एक बिल कब कानून बनता है...?
जानिए एक बिल कब कानून बनता है...?

विधेयक को कानून / अधिनियम बनाने की प्रक्रिया

       संविधान के अनुच्छेद 107 में साधारण विधेयक के संबंध में  उपबंध किए गए हैं इसके अनुसार साधारण विधेयक संसद के किसी भी सदन में अर्थात लोकसभा या राज्यसभा में प्रस्तुत किए जा सकते हैं जबकि धन विधेयक तथा वित्तीय विधेयक पहले केवल लोकसभा में पेश किए जा सकते हैं । किसी भी विधेयक का कानून बनने के लिए दोनों सदनों द्वारा एक मत से पारित होना आवश्यक है उसके बाद उसे राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेजा जाता है । अतः जब एक साधारण विधेयक को संसद के दोनों सदनों में पारित होने के पश्चात राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हो जाती है तो वह अधिनियम या कानून बन जाता है।

                      प्रत्येक सदन में साधारण विधेयक तीन चरणों से होकर गुजरता है-

(1)   प्रथम चरण मैं मंत्री द्वारा विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया जाता है । इस समय में विधेयक पर कोई महत्वपूर्ण विचार विमर्श नहीं किया जाता है।
(2)   दूसरे चरण में प्रस्तुत विधेयक पर सदन में चर्चा की जाती है और आवश्यक होने पर उसे कमेटी को भी सौंप दिया जाता है और कमेटी की रिपोर्ट के बाद इसके प्रत्येक पहलू पर चर्चा की जाती है । इस चरण में विधेयक में संशोधन भी किए जा सकते हैं । इन सब के बाद विधेयक के लिए मतदान होता है।
(3)   अंत में तृतीय चरण के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण विचार विमर्श के पश्चात विधेयक संसद द्वारा पारित कर दिया जाता है।


                              संसद की एक सदन द्वारा विधेयक पारित हो जाने के पश्चात दूसरे सदन को भेजा जाता है और उक्त प्रक्रिया दूसरे सदन में भी अपनाई जाती है और जब इसी प्रकार संसद के दोनों सदनों द्वारा विधेयक पारित हो जाता है तो विधेयक को राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेजा जाता है और राष्ट्रपति की अनुमति मिल जाने के पश्चात विधेयक कानून या अधिनियम बन जाता है।

                                  अनुच्छेद 108 दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का उपबंध करता है और ऐसा उस स्थिति में होता है जब विधेयक दोनों सदनों द्वारा एक मत से पारित नहीं हो पाता है अर्थात जब संसद के दोनों सदनों के मध्य विधेयक को लेकर मतभेद हो।

                      अनुच्छेद 108 में सदनों की संयुक्त बैठक के संबंध में तीन अवस्थाओं का उल्लेख किया गया है अर्थात संसद की एक सदन में विधेयक पारित होने के पश्चात जब उसे दूसरे सदन में भेजा जाता है और दूसरा सदन उस विधेयक को  अस्वीकार करता है या उसमें किए गए संशोधनों से सहमत नहीं है या दुसरे सदन को विधेयक पर जवाब दिए बिना 6 महीने से अधिक बीत चुके हैं तब ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकता है।

                                अतः यहां यह स्पष्ट है कि कोई भी विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति के बिना कानून या अधिनियम नहीं बन सकता।